होली रंगो का त्यौहार है | होली हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है | होली भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है | हमने इस लेख में होली पर निबंध (Holi par Nibandh) लिखा है, जिसे आप पढ़कर होली के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं और विद्यार्थी इस निबंध का उपयोग अपने परीक्षाओं में कर सकते हैं | आप सभी को हमारी तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
होली पर 10 लाइन हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi) –
- होली रंगो का त्यौहार है |
- होली हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है |
- होली के दिन सभी एक – दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं और गले मिलकर बधाइयाँ देते हैं |
- होली का त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है |
- होली के एक दिन पहले सभी एक जगह एकत्र होकर होलिका दहन करते हैं।
- होली के दिन सभी घरों में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और पकवान भी बनते हैं |
- होली में हमें हानिकारक केमिकल वाले रंगों का उपयोग नहीं करने से बचना चाहिए।
- होली बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है |
- होली के दिन सभी के चेहरे पर एक अलग हीं उमंग होता है |
- होली के दिन सभी एक – दूसरे की गलतियों को माफ़ कर एक साथ इसका जश्न मानते हैं |
होली पर निबंध 500 शब्दों में (Holi Essay in Hindi) –
होली का त्यौहार मनाने के पीछे इतिहास प्राचीन है | होली हर साल के फाल्गुन महीने में मनाई जाती है | प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस हुआ करता था | उसकी होलिका नामक एक बहन थी | हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान समझता था | हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिनका नाम प्रह्लाद था |
वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे | हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था | उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत बार रोका लेकिन प्रह्लाद ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी | इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया | इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद माँगी क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था |
उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे किंतु होलिका उस आग में जल कर खाक हो गई | इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत सदैव होती है | सभी लोग होली के एक दिन पहले लकड़ी, घास, गोबर के उपले इत्यादि को रात में जलाकर होलिका दहन करते हैं |
उसके अगले दिन सभी लोग गुलाल, अबीर और विभिन्न रंगों के साथ होली खेलते हैं | जैसे – जैसे होली का त्यौहार पास आता है, हमारा उत्साह और भी बढ़ता जाता है | होली असल मायनों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं | लोग एक – दूसरे की गलतियों को माफ़ कर प्रेम से गले लगाते हैं | जगह – जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, लोकगीत गाए जाते हैं और एक दूसरे का मुँह मीठा करवाते हैं | होली श्रद्धा,प्रेम और मिलन का समारोह है |
होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Holi in Hindi) –
भूमिका / प्रस्तावना
होली बसंत ऋतु के हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में मनाए जाने वाला भारतीय लोगों का बहुत हीं महत्वपूर्ण त्यौहार है | यह त्यौहार मुख्य तौर हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है | होली भारत का बहुत हीं प्राचीन त्यौहार है |
होली का आगमन होते हीं सभी साकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं | सभी इस पर्व की ख़ास तैयारी और अपनों से मिलने के लिए बहुत हीं उत्सुक रहते हैं क्योंकि इस दिन पूरे देश में छुट्टी रहती है | लोग इस त्यौहार पर एक – दूसरे की गलतियों को भुलाकर गले लगाते हैं | यह भाईचारे का त्यौहार है |
होली की तैयारी
होली की विशेष तैयारी में कई दिन का समय लगता है | इस त्यौहार पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुन प्रमुख हैं | लोग महिनों पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं |
मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्योहार पर अपने बच्चों के लिए अवश्य हीं कपड़े खरीदता है | होली पर सभी संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है पर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं |
होली का महत्व
होली आपस में भाईचारे और दोस्ती का प्रतीक है, होली के दिन सभी एक – दूसरे की गलतियों को क्षमाकर गले मिलते हैं | रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह त्यौहार पारंपरिक रूप से दो दिनों तक मनाया जाता है | पहले दिन तो होलिका दहन होता है, दूसरे दिन रंगों और अबीर – गुलाल से होली खेली जाती है |
सभी साथ मिलकर होली का गीत गाते और ढोल बजाकर नाचते हैं | एक दूसरे को रंगने और गाने – बजाने का दौर दोपहर तक चलता है | इसके बाद सभी लोग स्नान कर नए कपड़े पहन कर शाम को एक दूसरे के घर सबसे मिलने जाते हैं |
होली का इतिहास
होली का त्यौहार मनाने के पीछे इतिहास प्राचीन है | होली हर साल के फाल्गुन महीने में मनाई जाती है | प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस हुआ करता था | उसकी होलिका नामक एक बहन थी | हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान समझता था | हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिनका नाम प्रह्लाद था |
वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे | हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था | उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत बार रोका लेकिन प्रह्लाद ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी | इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया | इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद माँगी क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था |
उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे किंतु होलिका उस आग में जल कर खाक हो गई | भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की याद में होली मनाया जाता है |
ब्रजभूमि की लठमार होली
“सब जग होरी या ब्रज होरा” यानि सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है | ब्रज के गाँव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है | इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएँ भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से थी | जहाँ पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएँ खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है | वास्तव में यह दृश्य बहुत हीं अद्भुत होता है |
मथुरा और वृंदावन की होली
मथुरा और वृंदावन में होली का अलग हीं नजारा होता है | यहाँ तो होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है | लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं |
महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली
महाराष्ट्र और गुजरात में होली का पर्व श्री कृष्ण के बाल अवस्था को दर्शाता है | महिलाएँ मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं | पुरुष उस मटकी को फोड़ने का प्रयास करते हैं और नाच गाने के साथ होली खेलते हैं |
पंजाब का होला मोहल्ला
पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है | इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथा घोड़े सवारी, तीरंदाजी जैसे करतबों का प्रदर्शन किया जाता है |
बंगाल की डोल पूर्णिमा होली
बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली बहुत हीं प्रचलित है | इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गाँव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है |
मणिपुर की होली
होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहाँ पर छः दिवस तक नाच – गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिताओं का कार्यक्रम चलता रहता है |
निष्कर्ष / उपसंहार
होली एक सामाजिक त्यौहार है | यह हमें एकजुटता के साथ रहने का सन्देश देता है | इस दिन हम अपने करीबियों के साथ समय गुजार पाते हैं और एक – दूसरे के संबंध में और गहराइयाँ बढ़ती हैं | कुछ लोग त्योहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं | यह बहुत हीं अनुचित व्यवहार है | हमें किसी की भावना को ठेस नहीं पहुँचाना चाहिए | हमें एक दूसरे का सम्मान करते हुए इस त्यौहार को मानना चाहिए |
Conclusion –
इस पोस्ट में लिखा हुआ होली पर निबंध (Holi par Nibandh) आप सभी को कैसा लगा | आप हमसे अपनी राय जरुर साझा करें | आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस पोस्ट को किसी विद्यार्थी के साथ जरुर शेयर करेंक्योकि परीक्षा में निबंध जरुर पूछा जाता है | इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद |
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