Top 10 Moral Stories in Hindi – जैसा कि हम जानते हैं कि सीख हमें कहीं से मिल सकती है, मगर कहानियों के द्वारा मिली हुई सीख हमेशा याद रहती है | इन कहानियों का प्रभाव बच्चों के दिमाग पर गहरा होता है इसलिए हम आज इस लेख में बच्चों के लिए दस नैतिक कहानियों का खजाना लेकर आए हैं |
01 – शेर और चूहे की कहानी | Sher aur Chuha ki Kahani
एक बार की बात है | किसी जंगल में एक चूहा रहता था | एक दिन जब वो अपनी बिल की ओर जा रहा था, तो उसने एक शेर को आराम करते देखा |
शेर को आराम से सोते हुए देख चूहे के मन में शरारत सूझी | चूहा शेर के शरीर पर चदकर उछल-कूद करने लगा |
चूहे की शरारत की वजह से शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने पंजों में दबोच लिया |
चूहे ने जब शेर के पंजे में फँस गया, तो उसे समझ आया कि वह शेर के गुस्से से अब नहीं बच सकता और आज उसकी मौत पक्की है |
चूहा बहुत डर गया और रो-रोकर शेर से अनुरोध करने लगा कि शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे गलती हो गई, कृप्या मुझे जाने दो |
अगर आज आप मुझे जाने देंगे, तो मैं आपसे वादा करता हूँ कि आपके इस उपकार के बदले भविष्य में जब भी आपको कोई जरूरत होगी तो मैं आपकी सहायता करूँगा |
चूहे की ऐसी बातें सुनकर शेर को हंसी आ गई | शेर ने कहा कि तुम तो इतने छोटे हो, मेरी मदद क्या करोगे |
चूहे का अनुरोध सुनकर शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया | चूहे ने शेर को धन्यवाद कहकर वहां से चला गया |
कुछ समय बाद एक दिन शेर खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था, तभी अचानक किसी शिकारी द्वारा फैलाए जाल में फँस गया |
शेर ने खुद को जाल से निकालने की बहुत कोशिश की मगर निकलने में असमर्थ रहा | बहुत देर प्रयास करने के बाद शेर ने मदद के लिए दहाड़ लगानी शुरू की |
उसी समय वो चूहा उधर से हीं गुजर रहा था कि तब तक उसे शेर की दहाड़ सुनाई दी | वह दौड़कर शेर के पास पहुँचा और शेर को जाल में फंसा देख चौंक गया |
उसने बिना देर किए अपने नुकीले दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया और कुछ हीं समय में उसने पूरे जाल को काटकर शेर को आजाद कर दिया |
चूहे की इस सहायता से शेर की आँखें भर आईं और नम आँखों से शेर ने चूहे का शुक्रिया अदा किया और दोनों वहाँ से चले गए | अब शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए |
- कहानी से सीख – हमें किसी के शरीर के आधार पर उसे छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए | हमें किसी की क्षमता को कम नहीं आँकना चाहिए |
02 – डरपोक पत्थर की कहानी | Darpok Pathar Story in Hindi
एक समय की बात है | एक कलाकार अपने औजारों को थैले में भरकर आगे बढ़ता है, तभी उसको एक बहुत सुंदर पत्थर मिला | वह सोचा – “क्यों न मैं एक मूर्ति बनाऊँ |”
वह अपने थैले से औजार निकालकर मूर्ति तराशना शुरू कर देता है तभी पत्थर में से आवाज आई – अरे भाई ! रहने दो ना, दर्द होता है |
ऐसा सुनकर कलाकार अपने औजारों को थैले में रखकर आगे चलने लगा | अचानक कलाकार को फिर एक पत्थर मिला |
इस बार फिर उसने मूर्ति बनाने की सोची और अपने औजारों को निकाल कर एक भगवान की मूर्ति तराशना शुरू कर देता है तथा कुछ समय बाद एक सुंदर मूर्ति का निर्माण करता है |
फिर वह कलाकार उस कलाकृति को छोड़ कर आगे बढ़ जाता है | चलते – चलते कलाकार एक गाँव पहुँच जाता है | जहाँ पर मंदिर का निर्माण हो रहा था |
कलाकार ने सरपंच से कहा – यहाँ मंदिर बन रहा है क्या ? सरपंच ने उत्तर दिया – मंदिर का निर्माण हो चुका है लेकिन मूर्ति नहीं है | कलाकार ने कहा – सरपंच जी, आप मूर्ति की चिंता ना करें |
मैंने आगे वाले रास्ते में एक मूर्ति का निर्माण किया है | गाँव के कुछ लोग मूर्ति तथा उस पत्थर को लेकर मंदिर में स्थापित कर देते हैं |
मूर्ति के सामने लोग सिर झुकाते और मन्नत मांगते जबकि पत्थर के मुँह पर लोग नारियल फोड़ते थे | एक दिन मूर्ति और पत्थर आपस में बात कर रहे थे |
जिस पत्थर पर लोग नारियल फोड़ते थे वह मूर्ति वाले पत्थर से बोला – “ओ पत्थर ! तेरी क्या किस्मत है, आज तेरी पूजा और आरती उतारी जा रही है तब मूर्ति वाला पत्थर बोला – “आज तू दर्द सहा होता तो मेरी जगह बैठा होता |
- कहानी से सीख – सफलता के लिए बहुत दर्द सहना पड़ता है, बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिलती है |
03 – चींटी और कबूतर की कहानी | Chiti aur Kabootar ki Kahani
भीषण गर्मी के दिनों में एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी | कुछ देर घूमने के बाद उसने एक नदी देखी और उसे देखकर प्रसन्न हुई |
वह पानी पीने के लिए एक पत्थर पर चढ़ गई मगर वह फिसल कर नदी में जा गिरी | वह पानी में डूबने लगी तो पास के पेड़ पर बैठे एक कबूतर ने उसकी मदद की |
चींटी को संकट में देखकर कबूतर ने तुरंत एक पत्ता पानी में चींटी के आगे गिरा दिया | चींटी पत्ते की ओर बढ़ी और उस पर चढ़ गई |
फिर कबूतर ने पत्ते को पानी से बाहर निकाला और जमीन पर लाकर रख दिया | इस तरह चींटी की जान बच गई और वह हमेशा कबूतर का एहसान मानती रही |
चींटी और कबूतर बहुत अच्छे दोस्त बन गए और वे बड़ी खुशी से रहा करते | कुछ समय बाद एक दिन जंगल में एक शिकारी आया |
उसने पेड़ पर बैठे सुंदर कबूतर को देखा और अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधा | शिकारी को कबूतर पर निशाना साधे देख चींटी तुरंत जाकर शिकारी के पैरों में जोर से काटी |
शिकारी को दर्द हुआ और उसके हाथ से बंदूक गिर गई | कबूतर शिकारी की आवाज सुनकर वहाँ से उड़ गया | इस तरह कबूतर की जान बच गई |
- कहानी से सीख – कोई भी अच्छा काम व्यर्थ नहीं जाता |
04 – दो मित्र और भालू की कहानी | Do Mitra aur Bhalu ki Kahani
किसी गाँव में दो लड़के रहते थे | एक लड़के का नाम राम तो दूसरे लड़के का नाम श्याम था | उन दोनों लड़को में बहुत हीं गहरी दोस्ती थी |
उनकी दोस्ती की मिसाल पूरे गाँव में दिया जाता था | सभी लोग कहते थे कि दोस्ती हो तो इनकी दोस्ती जैसी | एक दिन दोनों को अपने गाँव से किसी दूसरे गाँव जाना था |
वह दोनों साथ में जाने लगे | उस रास्ते में एक जंगल पड़ता था | वह जंगल के रास्ते से जा रहे थे तब तक उन्होंने अचानक एक भालु को सामने से आते हुए देखा | अब वे सोचने लगे कि क्या करे?
श्याम खुद को भालू से बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया मगर राम को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था | उसने श्याम से मदद माँगी मगर श्याम ने मदद करने से मना कर दिया |
अचानक राम को याद आया कि भालू मरे हुए लोगों को नहीं खाते | राम जमीन पर सोकर अपने साँस को रोक लिया | वह जमीन पर इस तरह से सोया था कि जैसे वह मर चूका है |
भालू राहुल के पास आकर राहुल को सूंघने लगा मगर उसने राम को कुछ किए बिना वहाँ से चला गया | उसे लगा कि यह मर चूका है | भालू के जाने के बाद श्याम पेड़ से नीचे उतरा |
श्याम ने राम से पूछा – भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था? तो राम ने कहा कि भालू कह रहा था कि किसी दोस्त पर भरोसा मत करना |
- कहानी से सीख – सच्चा मित्र वहीं होता है, जो मुसीबत के समय साथ देता है |
05 – चूहा और बिल्ली की कहानी | Chuha aur Billi ki Kahani
एक बिल्ली थी और वो बहुत हीं चालाक थी | उसकी इसी चालाकी और चौकसी को देखकर चूहे भी सावधान हो गए और अब बिल्ली चूहों को नहीं पकड़ नहीं पा रही थी |
एक समय ऐसा आया कि बिल्ली भूख के मारे तड़पने लगी | एक भी चूहा उसके हाथ नहीं आता था क्योंकि वो उसकी आहट सुनते हीं तेज़ी से भागकर अपने बिल में छुप जाते थे |
अपनी भूख मिटाने के लिए बिल्ली ने योजना बनाई | वो एक टेबल पर उल्टी लेट गई | उसने ऐसा इसलिए किया कि सभी चूहों को यह लगे कि वो मर चुकी है |
सभी चूहे बिल्ली को अपने बिल से हीं देख रहे थे | उन्हें पता था कि बिल्ली नाटक कर रही है, इसलिए कोई भी चूहा अपने बिल से बाहर नहीं आया |
मगर बिल्ली ने हार नहीं मानी | वो काफी देर तक उसी टेबल पर उल्टी लेटी रही | अब चूहों को लगने लगा कि बिल्ली मर चुकी है | वो जश्न मनाते हुए अपने बिल से निकलने लगे |
चूहे जैसे हीं टेबल के पास पहुँचे | बिल्ली ने उछलकर दो चूहे पकड़ लिए | इस तरह बिल्ली ने अपने पेट को भर लिया मगर इस घटना के बाद चूहे और भी ज़्यादा सतर्क हो गए |
कुछ समय बाद बिल्ली फिर भूख से तड़पने लगी, क्योंकि चूहे अब बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहती थे |
इस बार पेट भरने के लिए एक बार फिर बिल्ली को योजना बनाने लगी मगर अब छोटी योजना काम नहीं आने वाली थी | इस बार बिल्ली ने खुद को पूरे आटे से ढक लिया |
चूहे आटा देखकर खाने के लिए आ गए मगर एक बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया | उसने ध्यान से आटा देखा, तो उसे उसमें बिल्ली का आकार दिखने लगा |
तभी बूढ़े चूहे ने हल्ला करना शुरू किया | उसने कहा, “सब अपने बिल में चले जाओ, यहाँ आटे में बिल्ली छुपी है |” उस बूढ़े चूहे की बात सुनकर सब चूहे अपने बिल में वापस घुस गए |
जब बहुत देर तक एक भी चूहा बिल्ली के पास नहीं पहुँचा, तब बिल्ली थककर वहाँ से उठ गई | इस तरह बूढ़े चूहे ने अपने अनुभव से सारे चूहों की जान बचा ली |
- कहानी से सीख – इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि का इस्तेमाल करके धोखे से बचा जा सकता है |
06 – हाथी और दर्ज़ी की कहानी | Hathi aur Darji ki Kahani
गाँव रत्नापुर में एक प्राचीन मंदिर था | उस मंदिर में प्रतिदिन एक पुजारी पूजा-पाठ करता था | पुजारी के पास एक हाथी था, जिसे वो अपने साथ प्रतिदिन मंदिर लेकर जाता था |
सभी गाँव के लोग हाथी को बहुत पसंद करते थे | हाथी भी मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं का खूब स्वागत किया करता था |
सुबह पूजा करने के बाद पुजारी अपने हाथी को तालाब में ले जाकर नहलाया करता था |
प्रतिदिन हाथी नहाने के बाद घर लौटते वक्त एक दर्ज़ी की दुकान पर रुकता था | दर्ज़ी भी प्रतिदिन हाथी को प्यार से एक केला खिलाता था |
हाथी केला खाने के बाद अपनी सूँड से दर्ज़ी को नमस्ते करके चला जाता था |
ये सब हाथी और पुजारी की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का एक हिस्सा था | एक दिन हाथी जब दर्ज़ी की दुकान पर केला खाने के लिए रुका, तो दर्ज़ी को शरारत करने का दिल हुआ |
उसने हाथी को केला देने के बाद अपने हाथ में सुई रख ली | जैसे हीं हाथी ने उसे नमस्ते किया, दर्ज़ी ने उसकी सूँड पर सुई चुभा दी |
सुई चुभते हीं हाथी ज़ोर से चिंघाड़ते हुए करहाने लगा | दर्ज़ी ने हाथी के दर्द का खूब मज़ाक़ उड़ाया और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा |
पुजारी को पता नहीं चला कि क्या हुआ | वो हाथी को सहलाते हुए अपने घर लेकर चला गया |
अगले दिन फिर पुजारी और हाथी तालाब से लौटकर आ रहे थे | पुजारी कुछ दूर रुककर लोगों से बात करने लगा | हाथी रोज़ की तरह दर्ज़ी की दुकान पर रुक गया |
आज हाथी ने अपने सूँड में कीचड़ भर लिया था | दर्ज़ी अपनी दुकान में बैठकर कपड़ों की सिलाई कर रहा था |
जैसे हीं दर्ज़ी ने हाथी को देखा, वैसे हीं हाथी ने उसकी पूरी दुकान में कीचड़ फेंक दिया | उस कीचड़ में उसकी दुकान के सीले हुए सारे कपड़े ख़राब हो गए |
यह सब देखकर दर्ज़ी समझ गया कि मैंने कल जो किया था, उसी का दण्ड हाथी ने मुझे आज दिया है | दर्ज़ी को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और वो हाथी के पास भागकर गया और उसने हाथी से माफ़ी माँगी |
हाथी ने दर्ज़ी की तरफ देखा और अपनी सूँड को हवा में लहराते हुए वहाँ से चला गया | दर्ज़ी को बहुत बुरा लग रहा था |
उसने अपने मस्ती के चक्कर में एक अच्छा दोस्त हाथी खो दिया था | उस दिन से दर्ज़ी ने ठान ली कि वो किसी का भी मज़ाक़ नहीं उड़ाएगा |
- कहानी से सीख – इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी के साथ भी बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए |
07 – हाथी और रस्सी की कहानी | Elephant and Rope Story in Hindi
एक दिन एक आदमी हाथियों के शिविर के पास से गुजर रहा था | नजदीक से देखने पर वह हैरान हो गया कि इन हाथियों को न तो पिंजरों में रखा गया था और न हीं किन्हीं जंजीरों से बांधा गया था |
हाथी इसलिए नहीं भाग पा रहे थे क्योंकि उनके पाँव एक पतली रस्सी के सहारे एक साधारण खंभे से बंधे थे |
उस आदमी के मन में यह सवाल उठा कि हाथी इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास क्यों नहीं कर रहे हैं | इसके बारे में उसने प्रशिक्षक ने पूछा |
इस पर प्रशिक्षक ने जवाब दिया – हाथी जब बच्चे होते हैं, हम उस समय इस प्रणाली का उपयोग करते हैं मगर उस उम्र में रस्सी इतनी मजबूत होती है कि वो उसे तोड़ नहीं पाते हैं |
जैसे जैसे वो बड़े होते हैं | उन्हें यह विश्वास होने लगता है कि हम कभी इस रस्सी को तोड़ नहीं पाएँगे | यहीं विश्वास उन्हें हमेशा के लिए बंधन से मुक्त नहीं होने देता |
- कहानी से सीख – हमें स्वयं पर भरोसा रखना चाहिए और किसी भी समस्या को हल करने की कोशिश करनी चाहिए |
08 – कौआ और कोयल की कहानी | Kauwa aur Koyal ki Kahani
एक बार की बात है | चाँदनगर के पास एक जंगल में एक बरगद का पेड़ था, जिसपर एक कौआ और कोयल दोनों अपने-अपने घोंसले में रहते थे |
एक रात उस जंगल में तेज़ आँधी आई और कुछ देर बाद बारिश शुरू हो गई | कुछ ही देर में जंगल में सब बर्बाद हो गया |
अगले दिन कौआ और कोयल को खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला | कोयल ने कौए से कहा, “हम इतने प्यार से इस जंगल में रहते हैं, मगर अब हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है |
भूख मिटाने के लिए एक काम करें, क्यों न जब मैं अंडा दूँ, तो तुम उसे खाकर अपनी भूख मिटाना और जब तुम अंडा दोगे तो उसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा लूंगी?”
कौआ कोयल की बात से सहमत हो गया | संयोग से सबसे पहले कौए ने अंडा दिया और कोयल ने उसे खाकर अपनी भूख मिटा ली |
जब कोयल ने अंडा दिया तो कौआ जैसे हीं कोयल का अंडा खाना शुरू किया तो कोयल ने उसे रोक दिया |
कोयल ने कहा, “तुम्हारी चोंच साफ नहीं है, पहले इसे धोकर आओ तो फिर अंडा खाना |” कौआ जल्दी से भागकर नदी के पास गया | वह नदी से बोला, “मुझे अपनी चोंच धोने के लिए पानी चाहिए |”
नदी बोली, “ठीक है! पानी के लिए तुम एक बर्तन लेआओ |” कौआ जल्दी से कुम्हार के पास पहुँचा |
उसने कुम्हार से कहा, “मुझे एक बर्तन दे दो | उसमें मैं पानी भर कर अपनी चोंच धोऊँगा फिर कोयल का अंडा खाऊँगा |”
कुम्हार ने कहा, “मुझे बर्तन बनाने के लिए मिट्टी लाकर दो |” यह सुनते ही कौआ धरती से मिट्टी माँगने गया | वो धरती से बोला, “ मुझे मिट्टी चाहिए |
उससे मैं कुम्हार से बर्तन बनवाऊँगा और उस बर्तन में पानी भरकर अपनी चोंच साफ करूँगा फिर अपनी भूख मिटाने के लिए कोयल का अंडा खाऊँगा |”
धरती बोली, “मैं मिट्टी तो दे दूँगी मगर इसके लिए तुम्हें खुरपी लानी पड़ेगी, जिससे खोदकर मिट्टी निकाली जा सके |”
जल्दी से भागते हुए कौआ लोहार के पास पहुँचा | उसने लोहार से कहा, “मुझे खुरपी चाहिए |
लोहार ने गर्म-गर्म खुरपी कौए को दे दी | जैसे ही कौए ने उसे पकड़ा उसकी चोंच जल गई और कौवा तड़पते हुए मर गया | इस तरह चतुराई से कोयल ने अपने अंडे कौए से बचा लिए |
- कहानी से सीख – हमें दूसरों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए |
09 – मेंढक और चूहा की कहानी | Frog and Mouse Story in Hindi
एक समय की बात है | एक घने जंगल में एक छोटा-सा जलाशय था, जिसमें एक मेंढक रहता था | उस मेंढक को एक दोस्त की तलाश थी | एक दिन उसी जलाशय के पास के एक चूहा आया |
चूहे ने मेंढक को दुखी देखकर उससे पूछा, दोस्त! क्या बात है? तुम उदास क्यों हो? मेंढक ने चूहे से कहा-मेरा कोई दोस्त नहीं है, जिससे मैं अपनी बातें कह सकूँ, अपना सुख दुःख उससे बाँट सकूँ |
मेंढक की बातों को सुनकर चूहे ने उछलते हुए जवाब दिया, अरे! आज से तुम मुझे अपना दोस्त समझो, मैं हर समय तुम्हारे साथ रहूँगा | चूहे की बातों को सुनकर मेंढक बहुत खुश हुआ |
दोस्त बनने के बाद दोनों घंटों एक दूसरे से बातें करने लगे | मेंढक जलाशय से निकलकर कभी पेड़ के नीचे चूहे के बिल में चला जाता, तो कभी दोनों जलाशय के बाहर बैठकर बहुत सारी बातें करते |
दोनों के बीच की दोस्ती समय के साथ-साथ काफी गहरी होती चली गई | चूहा और मेंढक अपने मन की बात अक्सर एक दूसरे से साझा करते थे |
एक दिन मेंढक के मन में आया कि मैं तो अक्सर चूहे के बिल में उससे बातें करने जाता हूँ मगर चूहा मेरे जलाशय में कभी नहीं आता है | ये सोचकर मेंढक ने चूहे को पानी में लाने की एक तरकीब सोची |
चतुर मेंढक ने चूहे से कहा कि दोस्त! हमारी मित्रता बहुत गहरी हो गई है | अब हमें कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे एक दूसरे की याद आते हीं हमें एहसास हो जाए |
चूहे ने हामी भरते हुए कहा, हाँ क्यों नहीं मगर हम ऐसा करेंगे क्या? दुष्ट मेंढक ने बोला, एक रस्सी से तुम्हारी पूँछ और मेरा एक बार पैर बाँध दिया जाए |
हमें जब भी एक दूसरे की याद आएगी तो हम इस रस्सी को खींचकर पता लगा लेंगे | चूहे को मेंढक के इस छल का जरा भी अंदाजा नहीं था | चूहा इसके लिए मान गया |
मेंढक ने जल्दी से अपने एक पैर और चूहे की पूंछ को रस्सी से बाँध दिया | इसके बाद मेंढक ने पानी में छलांग लगा दी |
मेंढक खुश था, क्योंकि उसकी योजना सफल हो गई | वहीं चूहे की पानी में हालत खराब हो गई क्योंकि वो तैर नहीं सकता था | अंततः कुछ देर छटपटाने के बाद चूहा मर गया |
एक बाज आसमान में उड़ते हुए यह सब देख रहा था | उसने जैसे हीं पानी में चूहे को देखा तो वो तुरंत उसे मुंह में दबाकर उड़ गया |
मेंढक का भी पैर चूहे की पूँछ से बंधा हुआ था, इसलिए वो भी बाज के चंगुल में आ गया | मेंढक तो पहले कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ?
वो सोच में पड़ गया कि आखिर वो आसमान में उड़ कैसे रहा है? जैसे हीं उसने ऊपर देखा तो बाज को देखकर वो डर गया | वो बाज से अपनी जान की भीख मांगने लगा मगर चूहे के साथ-साथ बाज उसे भी खा गया |
- कहानी से सीख – जो जैसा करता है, वो वैसा हीं भरता है |
10 – ऊँट और गीदड़ की कहानी | Camel and Jackal Story in Hindi
एक बार की बात है | एक जंगल में दो दोस्त रहते थे | एक था गीदड़ और दूसरा था ऊँट | गीदड़ बहुत हीं चालाक और ऊँट एकदम सीधा-साधा था |
ये दोनों घंटों नदी के पास बैठकर अपना सुख-दुख बाँटते थे | समय गुज़रता गया और उनकी दोस्ती गहरी होती गई |
एक दिन किसी ने गीदड़ को बताया कि पास के खेत में पके हुए तरबूज़ हैं | इतनासुनते हीं गीदड़ के मुँह में पानी आ गया मगर वो खेत नदी के उस पार था |
नदी को पार करके खेत तक पहुँचना गीदड़ के लिए मुश्किल था तो वो नदी पार करने की तरकीब सोचने लगा |
वह उपाय सोचते-सोचते ऊँट के पास चला गया | ऊँट ने दिन में गीदड़ को देखकर पूछा, “मित्र, तुम यहाँ कैसे? हमलोग तो शाम को नदी के पास मिलने वाले थे |”
गीदड़ ने बड़ी चालाकी से ऊँट से कहा, “देखो दोस्त, पास के खेत में पके तरबूज़ हैं | मैंने सुना है कि तरबूज़ बहुत मीठे हैं | तुम उन्हें खाकर खुश हो जाओगे इसलिए मैं तुम्हें बताने चला आया |”
ऊँट को तरबूज़ बहुत पसंद से खाता था | वो बोला, “मैं अभी उस खेत में जाता हूँ क्योंकि मुझे तरबूज़ खाए बहुत दिन हो गए हैं |”
ऊँट नदी पार करने की तैयारी करने लगा तो गीदड़ ने कहा, “दोस्त, तरबूज़ मुझे भी अच्छे लगते हैं मगर मुझे तैरना नहीं आता है | तुम तरबूज़ खा लोगे तो मैं समझूँगा कि मैंने भी खा लिए |”
गीदड़ की बात सुन ऊँट बोला, “तुम इसकी चिंता मत करो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करवाऊँँगा और हम दोनों साथ मिलकर तरबूज़ खाएंगे |”
ऊँट ने गीदड़ को अपने पीठ पर बैठाया और नदी पार कर वो दोनों खेत में पहुँच गए | गीदड़ ने मन भरकर तरबूज़ खाए और खुश हो गया |
खुशी के मारे वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा तो ऊँट ने कहा, “तुम शोर मत मचाओ मगर वो नहीं माना |”
गीदड़ की आवाज़ सुनकर किसान डंडे लेकर खेत के पास आ गए | गीदड़ चालाक था, इसलिए वह जल्दी से पेड़ों के पीछे छिप गया |
ऊँट का शरीर बड़ा था, इसलिए वो छिप नहीं पाया | किसानों ने गुस्से के मारे उसे बहुत मारा |
किसी तरह अपनी जान बचाते हुए ऊँट खेत के बाहर निकला | तभी पेड़ के पीछे छुपा गीदड़ बाहर आया | गीदड़ को देखकर ऊँट ने गुस्से में पूछा, “तुम क्यों इस तरह चिल्ला रहे थे?”
गीदड़ ने कहा कि मुझे खाने के बाद चिल्लाने की आदत है, तभी मेरा खाना हजम होता है | गीदड़ का जवाब सुनकर ऊँट को बहुत गुस्सा आया फिर भी वो चुपचाप गीदड़ को अपनी पीठ पर बैठाकर नदी की ओर बढ़ने लगा |
इधर ऊँट को मार पड़ने से गीदड़ मन-हीं-मन खुश हो रहा था | उधर नदी के बीच में पहुँचकर ऊँट ने नदी में डुबकी लगानी शुरू कर दी | गीदड़ ने ऊँट से कहा कि ये तुम क्या कर रहे हो?
गुस्से में ऊँट ने कहा, “मुझे खाने के बाद पचाने के लिए नदी में डुबकी लगाने की आदत है |” गीदड़ को समझ आ गया कि ऊँट उससे बदला ले रहा है |
बड़ी मुश्किल से गीदड़ पानी से निकलकर नदी किनारे पहुँचा | उस दिन के बाद से गीदड़ को कभी भी ऊँट को परेशान करने की हिम्मत नहीं हुई |
- कहानी से सीख – जो जैसा करता है, उसे वैसा हीं भरना पड़ता है |
Conclusion –
आप सभी को यह दस हिंदी नैतिक कहानियाँ (Top 10 Moral Stories in Hindi) कैसी लगीं | अपनी राय हमसे जरुर साझा करें | अगर आप कोई कहानी लिखवाना चाहते हैं तो कृप्या Comment कर जरुर बताएँ |
नवाज भाई आप की कहानियां मुझे बहुत पसंद आई और आप की कहानियों ने मुझे मेरा पचपन याद दिला दिया इसके लिए आप का दिल से शुक्रिया आप का ब्लॉग मेने देखा जानकारी आप ने दी है काफी कुछ सीखने को मिला थैंक्स नवाज भाई